बहुभाषाई मध्यस्थता
एमिटी यूनिवर्सिटी, हरियाणा और भारतीय संकटग्रस्त भाषा-केंद्रों के साथ एक परियोजना।
भाषा विज्ञान संस्थान, सोइलशे (Soillse) और सोल मोर ऑस्तैक्य (Sabhal Mòr Ostaig) के समर्थन से, भारत में बहुभाषावाद और संकटग्रस्त भाषाओं पर शोध-रत भारतीय सहयोगियों के साथ संबंध विकसित करने के लिए इस नवीन परियोजना का नेतृत्व कर रहा है। इस प्रकल्प या परियोजना के पहले वर्ष, 2018-2019 में, भारतीय संस्थाओं में से प्रधान सहयोगी संस्थान हरियाणा के एमिटी विश्वविद्यालय में एक विचार-सभा का आयोजन किया गया था। तथ्य-अनुसंधान के दौरे में, कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय और शांतिनिकेतन के विश्वभारती के संकटग्रस्त भाषाओं के केंद्र में भी जाना हुआ और वे भी शामिल हुए। इसका एक पूर्ण विवरण-वक्तव्य और प्रस्तुतियों के लिंक के साथ, इस सोइलशे रिपोर्ट में उपलब्ध है।
दूसरे वर्ष में, फोकस फील्डवर्क पर रहा जिस से नई रिकॉर्डिंग विधियों और सहायक प्रसार प्लेटफार्मों का परीक्षण किया जा सके, और साथ ही साथ भाषा के खतरे के सामाजिक संदर्भ पर ध्यान देने के साथ एक शोध कार्यसूची का विकास किया जा सके। COVID-19 महामारी के प्रभाव के बाद ध्यान अंतरिम आधार पर ऑनलाइन डेटा क्यूरेशन और डेवलपमेंट में स्थानांतरित हो गया। अब क्लिलस्टोर (Clilstore) प्लेटफॉर्म के संभावित अनुकूलन पर अधिक प्रभावी रूप से भारतीय भाषाओं और लिपियों को समायोजित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। परीक्षण यूनिटों को चार अलग-अलग भाषाओं में बनाया गया है, जिसे आगे चल कर और विकसित करने की योजना है :
असमिया |
बांग्ला |
खासी |
तमिल |
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‘बहुभाषाई मध्यस्थता प्रकल्प’ को वैश्विक चुनौतियां अनुसंधान कोष का समर्थन प्राप्त है
इस वीडियो में नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी (NEHU), शिलांग में 2019 के स्वदेशीय और संकटग्रस्त भाषा-वर्ष के मौके पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय भाषा उत्सव के अंग-स्वरूप सेमिनार तथा अन्य कार्यक्रम (इंटरनेशनल लैंग्वेज फेस्ट फॉर इंडीजेनस एंड एंडेंजर्ड लैंग्वेजेस) की विवरणिका है। अंग्रेजी में पूरी तरह से उपशीर्षक के साथ इस बहुभाषी फिल्म को गेलिक भाषा में प्रस्तुत किया गया है। मुख्य फिल्म लगभग 12 मिनट की है, जिसके पूर्व ढाई मिनट की भूमिका है । फिल्म के बाद छह मिनट की चर्चा और संक्षिप्त उपसंहार (पोस्टस्क्रिप्ट) है।